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घटनाक्रम: शिवाजी महाराज नदी के किनारे स्थित एक टेकड़ी पर खड़े होकर युद्ध का अवलोकन कर रहे थे। उन्होंने अपने सैनिकों को नदी के किनारे फंसे हुए दुश्मन सैनिकों पर तलवार से हमला करने का आदेश दिया। यह घातक युद्ध लगभग एक घंटे से अधिक समय तक चला।

दूर से आता दूत: कुछ दूरी पर, खाना के तंबू से एक सफेद झंडा लिए हुए एक दूत आते दिखाई दिया। निहत्था होने के कारण तलवारबाजों ने उसे जाने दिया। बाणों की बौछार से बचते हुए, वह पूछ रहा था, "तुम्हारा सेनापति कहाँ है?" उसने टेकड़ी की ओर इशारा किया।

वकील दूत की मुलाकात: वकील दूत, भारी गड़बड़ी और धक्का-मुक्की के बीच रास्ता बनाते हुए, गारमाळा की तलहटी पर 100 मीटर चढ़ गया। शिवाजी महाराज के सैनिकों ने उसकी तलाशी ली और उसे लगभग 10 मीटर दूर खड़ा कर उसकी पहचान पूछी।

शिवाजी महाराज का संदेश: महाराज ने अपने आदमी के माध्यम से उसे बताया, "यह हमारी सेना तुम्हें मारे बिना अब वापस नहीं जाएगी। युद्ध की स्थिति में मैं सेना को शांत रहने का आदेश नहीं दे सकता। यह संदेश अपने खाना को अच्छी तरह से समझाओ।"

विश्लेषण: इस घटना में शिवाजी महाराज की रणनीति, शांति और साहस झलकता है। वे युद्ध का अवलोकन कर रहे थे और सही समय पर सही रणनीति बना रहे थे। उन्होंने दुश्मन के दूत को निर्णायक उत्तर दिया और दुश्मन को हार मानने पर मजबूर कर दिया।