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महाराणा प्रताप की युद्धनिति थी की मुगलों के तोपखाने को उद्धस्त करना। ताकि गोगुंदा किला तोपगोलों से ध्वस्त ना हो। हो सके तो उसे हथिया कर हकीम सूर के तोपखाने में शामिल कराना।

मेवाड़ की सेना का जोर इतना तेज था कि उसने बाएं हरावल हिस्से को बहुत गहराई तक तोड़ दिया।

महाराणा प्रताप की युद्धनिति थी की मुगलों के तोपखाने को उद्धस्त करना। ताकि गोगुंदा किला तोपगोलों से ध्वस्त ना हो। हो सके तो उसे हथिया कर हकीम सूर के तोपखाने में शामिल कराना।

मेवाड़ की सेना का जोर इतना तेज था कि उसने बाएं हरावल हिस्से को बहुत गहराई तक तोड़ दिया।